प्राचार्य
“शिक्षा किसी भी समाज की आत्मा है क्योंकि यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चलती रहती है।” शिक्षा सभ्यता का संचरण है। मुझे यह कहते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि हमारा विद्यालय अच्छी संस्कृति और सभ्यता के उचित प्रसार तथा प्रचार के लिए सभी महत्वपूर्ण साधन प्रदान करता है। विद्यालय अपने छात्रों और कर्मचारियों को जीवन के सभी क्षेत्रों में सीखने और विकास के लिए एक उचित वातावरण भी प्रदान करता है। हम आज की दुनियां में छात्रों को सीखने, निरीक्षण करने, आत्मनिरीक्षण करने और चिंतन करने की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता को पूरा करने के लिए सुखद ,प्रदूषणमुक्त, प्राकृतिक वातावरण प्रदान करते हैं। ऐसे वातारण में शिक्षा एक पुरस्कृत अनुभव है। एक आदर्श व्यक्ति वह है जो बहुआयामी है, जो शैक्षणिक रूप से उत्कृष्ट है, जिसकी व्यापक रुचियाँ हैं और जो शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से सक्षम एवं सुसज्जित है जो उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि राष्ट्र की प्रगति तब होती है जब हर कोई उत्कृष्टता के लिए प्रयास करता है और लोग प्रगति तब करते हैं जब वे सर्वश्रेष्ठ के लिए प्रयास करते हैं। उनके व्यक्तिगत और सामूहिक विकास में ही हमारे राष्ट्र, विश्व व्यवस्था और मानवजाति का विकास है। हम हर युवा के मन में उन मूल्यों, लोकाचारों और सिद्धांतों को स्थापित करने का प्रयास करते हैं जो किसी मनुष्य को वास्तविक अर्थों में मनुष्य बनाते हैं। आइए हम सभी केंद्रीय विद्यालय संगठन द्वारा निर्धारित लक्ष्य और उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करें और अपने छात्रों को श्रेष्ठ मनुष्य बनाने के लिए नैतिक-मूल्यों से अवगत कराएं।